छत्तीसगढ़सारंगढ़ बिलाईगढ़

वन विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल — टेकापत्थर गांव के करेंट तार कांड ने मचाया बवाल

सारंगढ़ / सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के बरमकेला वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले टेकापत्थर गांव में बीते दिनों एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसने पूरे वन विभाग की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गांव में वन्यप्राणियों के शिकार की नियत से शिकारियों द्वारा बिजली करेंट का तार बिछाया गया था, जिससे एक व्यक्ति बाल-बाल मौत के मुंह से बच गया। यह घटना न केवल मानव जीवन के लिए खतरनाक है, बल्कि जंगलों में विचरण करने वाले वन्यजीवों के लिए भी जानलेवा साबित हो सकती थी।

लेकिन इस पूरे घटनाक्रम से भी बड़ा सवाल तब खड़ा हुआ जब स्थानीय सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप ग्रुप्स में यह खबर तेजी से वायरल हुई कि **इस मामले को रफा-दफा करने के लिए वन विभाग के कुछ कर्मचारियों और तथाकथित वसूलीबाजों द्वारा करीब ढाई लाख रुपए का सौदा किया गया है।
वायरल संदेश में भवानी शंकर नायक नामक व्यक्ति द्वारा यह दावा किया गया है कि — “टेकापत्थर गांव में शिकार के लिए बिछाए गए बिजली के तार में एक व्यक्ति की जान जाते-जाते बची, और मामले को रफा-दफा करने के लिए बकायदा ढाई लाख रुपए में सौदा हुआ। इसमें वन विभाग के कुछ अधिकारी और ठोडा इलाके के कुछ लोग भी शामिल रहे।”



यह खबर जैसे ही सोशल मीडिया पर फैली, लोगों में आक्रोश का माहौल बन गया। जनता पूछ रही है — अगर यह सच है, तो आखिर वन विभाग में ऐसी मिलीभगत क्यों? क्या जंगलों और वन्यप्राणियों की सुरक्षा का जिम्मा जिनके कंधों पर है, वही कानून को ताक पर रखकर पैसे के खेल में शामिल हैं?

यह मामला अब उच्च स्तरीय जांच का विषय बन चुका है। लोगों की मांग है कि जिला प्रशासन स्वयं संज्ञान लेकर इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।
अगर यह आरोप सही पाए जाते हैं, तो वन विभाग के संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए, और यदि वायरल संदेश झूठा साबित होता है, तो विभाग को भी अपनी छवि बचाने के लिए स्पष्ट स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए।

जनता यह भी कह रही है कि — “अगर वन विभाग सच में ईमानदार है, तो उसे इस मामले में पारदर्शी जांच की मांग करनी चाहिए। अन्यथा यह आरोप जंगलों की सुरक्षा पर काला धब्बा साबित होगा।”
इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ है कि अब वन विभाग को जवाब देना ही होगा।
क्योंकि सवाल सिर्फ एक गांव का नहीं है — यह सवाल प्रणाली की सच्चाई, जवाबदेही और जनता के विश्वास से जुड़ा हुआ है।
अगर ऐसे मामलों पर अंकुश नहीं लगाया गया तो जंगल और वन्यजीव दोनों सुरक्षित नहीं रहेंगे।

👉 सवाल साफ है — करेंट तार लगाने वाले शिकारी से बड़ा अपराधी कौन?
वो जो उसे पकड़ने की जगह पैसे लेकर मामले को दबा दे!
अब ज़रूरत है सच को सामने लाने की,
वरना ये ‘रफा-दफा राज’ जंगल की ईमानदारी को निगल जाएगा!

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button