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बरमकेला ब्लॉक कांग्रेस मे फुट कि जड़े गहरी: डॉ. विद्या किशोर चौहान के भाजपा जाने कि पृष्ठभूमि उजागर

बरमकेला / बरमकेला ब्लॉक कांग्रेस आज एक गहरे अंतर्विरोध और नेतृत्व संकट से गुजर रही है। संगठन की अंदरूनी खींचतान अब केवल दबी जुबानों तक सीमित नहीं रही, बल्कि जनपद सदस्यों और वरिष्ठ नेतृत्व के खुले असंतोष के रूप में सामने आने लगी है। दो जनपद सदस्यों के भाजपा में शामिल होने के बाद अब जनपद अध्यक्ष डॉ. विद्या किशोर चौहान के भाजपा प्रवेश की चर्चाएं न केवल तेज़ हैं, बल्कि इसके पीछे की वजहें अब संगठन के लिए आत्ममंथन की पुकार बन गई हैं।

◾ उपेक्षा, अधिकार हनन और तानाशाही की राजनीति

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, डॉ. विद्या किशोर चौहान को लगातार संगठन के भीतर निर्णय प्रक्रिया से बाहर रखा गया। पंद्रहवें वित्त आयोग की राशि के वितरण में उनके सुझावों और क्षेत्रीय प्राथमिकताओं को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया। यह केवल एक प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि सुनियोजित राजनीतिक अलगाव की रणनीति मानी जा रही है।

◾ विधायक निधि का ‘राजनीतिक उपयोग’

सबसे गंभीर मामला विधायक निधि से जुड़े 1 करोड़ की राशि का है, जिसे जनपद सदस्यों की सलाह को दरकिनार कर सिर्फ पार्टी के करीबी सरपंचों के क्षेत्रों में उपयोग किया गया। इसने न केवल जनपद प्रतिनिधियों को अपमानित किया, बल्कि कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र पर भी सवाल खड़े कर दिए। बताया जाता है कि सिर्फ इस एक करोड़ कि विकास कार्य कि सौगाते अपनी विवेक पर डिपेंड करती है, तो क्या इनके विवेक कांग्रेस के जिम्मेदार पद पर आसीन जनप्रनिधियो को बिना जानकारी दिए कुछ लोगो कि मनमानी रवैया से करना विवेक है, तो जो कांग्रेस के समर्पित जनप्रनिधि हैँ उन्ही के क्षेत्र मे बिना जानकारी के कार्य देना क्या उनका अधिकारों का हनन नहीं, सूत्रों के अनुसार सिर्फ एक करोड़ कि राशि कि विकास कार्य पर सिर्फ सिर्फ कमिशन के खेल के चककर मे बिखरा हुआ नजर आ रहा है। सारंगढ़ विधायक उत्तरी जांगड़े जी बहुत ही सरल सहज के धनी व्यक्ति हैं इनके सहजता, सरलता का अनर्गल लाभ उठाया गया है जोकि विधायक उत्तरी जांगड़े के लिए अपूरणीय क्षति है, इस पर विधायक उत्तरी जांगड़े जी को गहरी चिंतन मनन करके जल्द ही रोक लगाकर जनहित मे काम आवे विशेष ध्यान आकर्षित किया जाए। सारंगढ़ विधायक काफ़ी सक्रिय एवं कुशल जननेता जाने जाते हैं, जनताओं के हित कार्य के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।

◾ डॉ. चौहान का संघर्ष: समर्पण की अनदेखी

डॉ. विद्या किशोर चौहान ने जनपद में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए निजी संसाधनों से लाखों रुपये खर्च किए, कार्यकर्ताओं को एकजुट किया और संगठन को खड़ा किया। लेकिन उन्हीं को नज़रअंदाज़ कर राजनीतिक स्वार्थ में डूबे कुछ नेताओं ने पार्टी के भीतर गुटबाज़ी को हवा दी। जिन लोगो के साथ 22 दिन तक डॉ विद्या किशोर चौहान निजी खर्च कर संगठन बचाने निस्वार्थ भाव से कार्य किया क्या इसे अभी दरकिनार किया जा सकता है ? रही बात संगठन बचाने के लिए सभी के द्वारा बड़ी बड़ी कसमे वादे किए गए थे परन्तु किसी ने एक जुटता को तोड़ने मे कसम तोड़ी है तो किसी ने अपमानित महसूस करने को लेकर कसमे तोड़ी खास बात प्रमुख नेतृत्व कर्ता के लापरवाही से कांग्रेस खेमे मे हो रही है असंतुष्ट। कांग्रेस मे बिखराव का कारण सिर्फ शीर्ष नेतृत्वकर्ता कि स्वार्थ और लापरवाही !

◾ चरित्र हनन और केसीसी प्रकरण की साजिश

केसीसी फर्जी ऋण प्रकरण में डॉ. विद्या किशोर चौहान का नाम घसीटना भी राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि यह सब उनकी छवि को धूमिल करने और जनता के बीच भ्रम पैदा करने का सुनियोजित प्रयास है, जबकि उनका इससे कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। डॉ. विद्या किशोर चौहान एक स्वच्छ छवि के धनी हैं इनके छवि धूमिल करना अपना गलती को छुपाने जैसी है।

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