
बरमकेला/भाजपा और कांग्रेस में टिकट के लिए जोर-आजमाइश
छत्तीसगढ़ में नगर पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। इस बार प्रक्रिया में बड़ा बदलाव हुआ है। अब अध्यक्ष का चुनाव जनता के वोटों से होगा, जबकि पहले यह पार्षदों के माध्यम से किया जाता था। इस बदलाव के कारण राजनीतिक दलों के बीच खलबली मच गई है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इस मौके को भुनाने के लिए जोर-शोर से तैयारियों में जुटी हैं।

भाजपा की ओर से चंद्र लता मनीष नायक, सीता हेमसागर नायक, और तान्या राजू नायक ने अपनी दावेदारी पेश की है। तीनों उम्मीदवार पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को प्रभावित करने में लगे हुए हैं। अब देखना होगा कि भाजपा किसे अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारती है।

दूसरी ओर, कांग्रेस से सत्यभामा मनोहर नायक, पूनम राकेश नायक, राजकुमारी रोहित नायक, और हेमलता मनोज नायक ने समर्थन मांगा है। कांग्रेस पार्टी भी जल्द ही अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर सकती है।

जनता करेगी अध्यक्ष का चुनाव: बड़ा बदलाव
छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद नगर पंचायत चुनाव प्रक्रिया में बदलाव किया गया। अब अध्यक्ष का चयन सीधे जनता करेगी। पहले यह जिम्मेदारी पार्षदों की होती थी। यह बदलाव जनता को ज्यादा अधिकार देने के उद्देश्य से किया गया है।
इस प्रक्रिया ने चुनाव को अधिक प्रतिस्पर्धात्मक बना दिया है। अब उम्मीदवारों को जनता को सीधे प्रभावित करना होगा। दोनों पार्टियों के उम्मीदवार घर-घर जाकर जनता से मिल रहे हैं और अपने वादों व इरादों को साझा कर रहे हैं।
विकास, सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर जोर
चुनावी प्रचार के दौरान उम्मीदवारों ने विकास कार्यों को प्राथमिकता देने की बात कही है। सड़क, पानी, और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के मुद्दों पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही, सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने का आश्वासन भी दिया जा रहा है।
जनता की उम्मीदें और चुनौतियां
बरमकेला नगर पंचायत के मतदाता इस बार अपने प्रतिनिधियों का चुनाव खुद करेंगे। जनता ने स्पष्ट किया है कि उनका समर्थन उसी उम्मीदवार को मिलेगा जो उनके मूलभूत समस्याओं का समाधान करेगा। खासकर, सड़क, पानी, और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर काम करने वाले उम्मीदवार को प्राथमिकता दी जाएगी।
इसके अलावा, जनता ने विकास कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्हें ऐसी सरकार चाहिए जो केवल वादे न करे, बल्कि उन्हें पूरा भी करे।
चुनाव प्रचार ने पकड़ा जोर
जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, प्रचार अभियान जोर पकड़ रहा है। उम्मीदवार घर-घर जाकर लोगों से मिल रहे हैं। सभाओं और रैलियों का आयोजन किया जा रहा है। वादों की बौछार और इरादों की झलक के बीच, जनता अब अपने नेताओं को परख रही है।
राजनीतिक दलों की रणनीति
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने चुनावी रणनीति पर ध्यान केंद्रित किया है। भाजपा, राज्य में अपनी सत्ता का लाभ उठाते हुए जनता को यह भरोसा दिलाने की कोशिश कर रही है कि उनके नेतृत्व में नगर का समग्र विकास होगा। वहीं, कांग्रेस भी विपक्ष में रहकर जनता को अपनी ओर खींचने का हरसंभव प्रयास कर रही है।
जनता का फैसला होगा निर्णायक
नगर पंचायत चुनाव में जनता की भागीदारी और भूमिका पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। अब मतदाता ही यह तय करेंगे कि अगला अध्यक्ष कौन होगा। इस बदलाव ने चुनाव को न केवल रोमांचक बनाया है, बल्कि राजनीतिक दलों को भी अधिक जवाबदेह बना दिया है।
इस बार का चुनाव जनता जनार्दन की उम्मीदों और मांगों के आधार पर तय होगा। चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, जो भी पार्टी और उम्मीदवार जनता के विश्वास को जीत पाएंगे, वही नगर पंचायत की कुर्सी पर बैठेगा।


