सारंगढ़ बिलाईगढ़

दुकानदारों की बातों में न आएं किसान, सलाह के लिए कृषि अधिकारी से संपर्क करें

संयुक्त संचालक कृषि मनोज कुमार चौहान और वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ अंगद सिंह राजपूत ने आरईओ को दिया प्रशिक्षण

सारंगढ़ बिलाईगढ़ /संयुक्त संचालक कृषि बिलासपुर मनोज कुमार चौहान और वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर अंगद सिंह राजपूत की उपस्थिति में गत दिवस कलेक्ट्रेट सारंगढ़ के सभाकक्ष में कृषि विस्तार अधिकारियों का प्रशिक्षण आयोजित किया गया। इस अवसर पर उप संचालक कृषि श्री आशुतोष श्रीवास्तव सहित सीनियर और जूनियर कृषि विस्तार अधिकारी उपस्थित थे। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर अंगद सिंह राजपूत ने कहा कि कृषि खाद बीज दवा के दुकानदार की बातों में किसान नही आएं। वे अपना सामग्री बेचने के लिए किसी भी उत्पाद को पहले की अपेक्षा ज्यादा उत्पादक बता सकते हैं, उस उत्पाद के संबंध में किसान कृषि अधिकारी से जानकारी लें।

प्रशिक्षण को संबोधित करते हुए मनोज चौहान ने कहा कि कृषि विभाग किसानों के सहयोग के लिए है और कृषि विस्तार अधिकारी (आरईओ) अपने क्षेत्र में किसान को सहयोग प्रदान करने के लिए कृषि विभाग के स्थानीय अधिकारी हैं। श्री चौहान ने जिले के सभी आरईओ को सरकारी समितियां में खाद बीज के भंडारण,वितरण के संबंध में जानकारी लिया और शीघ्र मांग के लिए आवेदन करने कहा ताकि जो किसान वंचित हो गए हैं उनको समितियां में अतिरिक्त के रूप में रखे गए खाद बीज उपलब्ध कराया जा सके। इसी प्रकार उन्होंने केसीसी के संबंध में सभी से जानकारी लिया। उन्होंने कृषि विस्तार अधिकारियों को कहा कि वे सभी समितियां में जाकर डबल लॉक के अंतर्गत केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त रूप से खाद बीज वितरण के डबल लॉक प्रणाली का जांच करें और समितियां में भी जाकर दुकानदारों से यह जानकारी ले कि कौन सा खाद कितनी मात्रा में समितियां में आया है और उसका वितरण किया जा चुका है। उन्होंने पिछले वर्ष की मांग और इस वर्ष की मांग का तुलना करने के लिए आरईओ को निर्देश दिए। श्री चौहान ने कहा कि खाद बीज के पॉश मशीन और ऑफ लाइन खरीदी का भौतिक सत्यापन करें। श्री चौहान ने बीज के अंकुरण टेस्ट बताते हुए कहा कि एक कपड़े में बीजों को बांधकर 24 घंटे रख देना चाहिए और 24 घंटे के बाद में अंकुरण की स्थिति से बीच का पता लगाया जा सकता है कि बीज का उत्पादक क्षमता कितनी है। उन्होंने सॉइल टेस्ट की परीक्षण को पूरा करने के लिए कहा।
श्री चौहान ने कहा कि एचएमटी के विकल्प के रूप में देवभोग धान की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करें। अन्य धान के अपेक्षा देवभोग धान का प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता अन्य से अधिक है। उन्होंने कहा कि देवभाग की खेती से जब किसानों को फायदा मिलेगा तो इसका प्रचार प्रसार एक किसान से दूसरे किसान के माध्यम से अपने आप बढ़ता चला जाएगा। आज हमारे देश में दलहन तिलहन की उत्पादन कम है। इसलिए किसानों को दलहन तिलहन का उपज करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। किसान खेत के मेड़ में दलहन तिलहन का उत्पादन करें।

चौहान ने कृषि विस्तार अधिकारियों को दवा का छिड़काव, बारिश के पहले और बाद में किए जाने वाले खेती कार्य, खुर्रा, रोपा बोनी, पेस्टिसाइड का उपयोग, सरसों उड़द और धान का उत्पादन, उनके समय-समय पर उपयोग किए जाने वाले प्रत्येक खाद के संबंध में विस्तार से जानकारी दिया।

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