
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के लालाधुरवा, धौराभांठा, जोगनीपाली, सरसरा और कपीसदा (ब) गांव की सैकड़ों नारी शक्तियों और ग्रामीणों ने जमीन अधिग्रहण और ओपन खदान खोदने के प्रस्ताव के खिलाफ कलेक्ट्रेट पहुँच कर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। ग्रीन सस्टेबल मैन्युफैक्चरिंग प्रा. लि. कंपनी द्वारा क्षेत्र की जमीन में ओपन खदान शुरू करने का प्रस्ताव रखा गया है, जिसके तहत 24 सितंबर को ग्राम लालाधुरवा में जनसुनवाई आयोजित की जानी है। इसी के खिलाफ ग्रामीण एकजुट होकर कलेक्ट्रेट पहुँचे और अपनी आपत्ति दर्ज कराई।

ग्रामीणों ने कहा कि कंपनी द्वारा प्रस्तावित खदान से उनकी खेती-बाड़ी, जल स्रोत और पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ेगा। यह खदान ग्रामीणों की जीवनरेखा यानी कृषि और प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट कर देगी। नारी शक्ति की बड़ी संख्या में मौजूदगी ने इस विरोध को और अधिक सशक्त बना दिया। महिलाएं बैनर-पोस्टर लेकर नारेबाजी करती हुई कलेक्ट्रेट पहुँचीं और साफ तौर पर अपनी जमीन और पर्यावरण की रक्षा का संकल्प जताया।
विरोध प्रदर्शन में विधायक श्रीमती उत्तरी गणपत जांगड़े भी शामिल हुईं। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई केवल जमीन बचाने की नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित रखने की है। उन्होंने ग्रामीणों का साथ देने का आश्वासन देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा किसानों, ग्रामीणों और आम जनता के साथ खड़ी है। श्रीमती जांगड़े ने कहा कि यदि प्रशासन और कंपनी ने ग्रामीणों की आवाज़ नहीं सुनी तो यह आंदोलन और तेज होगा।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी इस मौके पर जमकर नारेबाजी की और जनसुनवाई रद्द करने की मांग उठाई। उन्होंने आरोप लगाया कि खदान खोलने की अनुमति देकर सरकार ग्रामीणों की उपजाऊ जमीन और प्राकृतिक संसाधनों को कंपनी के हवाले कर रही है, जिससे यहां की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण दोनों प्रभावित होंगे।
ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि प्रस्तावित जनसुनवाई और जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए। उनका कहना था कि वे अपनी जमीन किसी भी कीमत पर कंपनी को नहीं देंगे। प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो वे उग्र आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।
इस विरोध प्रदर्शन में ग्रामीणों की एकजुटता और उनकी आवाज़ ने साफ कर दिया कि वे अपनी जमीन और पर्यावरण की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने को तैयार हैं। 24 सितंबर की जनसुनवाई से पहले ही इस तरह का विरोध प्रशासन और कंपनी के लिए एक बड़ा संदेश माना जा रहा है।



