भगवान श्री बलराम जयंती-किसान दिवस पर राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन
रायपुर/ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में आज कृषि के देवता माने जाने वाले भगवान श्री बलराम जी की जयंती को ‘भगवान श्री बलराम जयंती-किसान दिवस’ के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन कृषि महाविद्यालय, रायपुर के कृषि मंडपम में दोपहर 12 बजे से किया गया, जिसका शुभारंभ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के करकमलों द्वारा हुआ।कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी मंत्री रामविचार नेताम ने की, जबकि भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। इस विशेष अवसर पर रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल, धरसींवा के विधायक अनुज शर्मा, रायपुर ग्रामीण के विधायक मोतीलाल साहू, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल, और भारतीय किसान संघ, छत्तीसगढ़ प्रान्त के अध्यक्ष सुरेश चंद्रवंशी भी विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।**कार्यशाला का उद्देश्य: “प्राकृतिक एवं गौ आधारित कृषि”**
भगवान श्री बलराम जयंती-किसान दिवस के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय में “प्राकृतिक एवं गौ आधारित कृषि” पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का भी आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में विभिन्न विषय विशेषज्ञों द्वारा किसानों को प्राकृतिक और गौ आधारित कृषि की संकल्पना, उसकी प्रविधि और इससे प्राप्त होने वाले लाभों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ बिलाईगढ़ के बरमकेला ब्लाक से मुकेश चौधरी, जिन्हें सम्मानित किया गया है, विशेष रूप से शामिल हुए।**अलग-अलग जिलों में भी मनाया गया समारोह**
भगवान श्री बलराम जयंती-किसान दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में संचालित 27 कृषि विज्ञान केंद्रों में भी समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में प्राकृतिक और गौ आधारित कृषि के महत्व और लाभों पर चर्चा की गई और किसानों को इन पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित किया गया।
**गौ आधारित कृषि का महत्व**
भारतीय संस्कृति में आदिकाल से ही कृषि में गौ उत्पादों जैसे गोबर और गौमूत्र का उपयोग होता रहा है। गौ आधारित खेती एक ऐसी पद्धति है जो रसायन और कीटनाशकों से मुक्त होती है, जिसमें परंपरागत तरीकों से प्राकृतिक नियमों का पालन करते हुए देशी गाय आधारित खेती के सिद्धांतों को अपनाया जाता है। इस पद्धति से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है, जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और खेती की लागत कम हो जाती है।
इस प्रकार, “भगवान श्री बलराम जयंती-किसान दिवस” का आयोजन किसानों के लिए प्राकृतिक एवं गौ आधारित खेती की जानकारी और इसे अपनाने के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से किया गया। यह प्रयास न केवल खेती की उर्वरता और उत्पादन को बढ़ावा देगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।