सारंगढ़ बिलाईगढ़

हेडसपाली के ग्रामीणों का अतिक्रमण के खिलाफ संघर्ष: सरकारी भूमि पर कब्जे के खिलाफ उग्र आंदोलन की चेतावनी

सारंगढ़ जिले के बरमकेला अंतर्गत हेडसपाली गांव में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का मामला तेजी से तूल पकड़ रहा है। 35 एकड़ शासकीय भूमि पर एक रसूखदार व्यक्ति द्वारा अवैध रूप से कब्जा करने का आरोप लगाया जा रहा है, जिससे गांव के लोग बेहद आक्रोशित हैं। इस अतिक्रमण के खिलाफ ग्रामीणों ने अतिक्रमण हटाने के लिए मुहिम छेड़ दी है और अब उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
**अतिक्रमण का मामला और प्रशासन की कार्रवाई**
गांव की यह शासकीय भूमि, जो 35 एकड़ में फैली हुई है, का उपयोग ग्रामवासी सामुदायिक कार्यों के लिए करते रहे हैं। लेकिन हाल ही में एक रसूखदार व्यक्ति ने इस भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया। ग्रामीणों द्वारा लगातार शिकायतें करने के बाद, राजस्व विभाग ने इस अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई की। हालांकि, यह कार्रवाई केवल कागजों पर ही पूरी होती नजर आई, क्योंकि अतिक्रमणकर्ता ने इस भूमि पर पुनः बलपूर्वक कब्जा कर लिया।

**ग्रामीणों की शिकायत और प्रतिक्रिया**
हेडसपाली के ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने स्वयं इस भूमि पर वृक्षारोपण किया था, जिसे अतिक्रमणकारी ने उखाड़कर खेत की जुताई कर दी और धान का फसल बो दिया। इस घटना से ग्रामीणों में गहरा असंतोष और नाराजगी फैल गई है। इसके बाद सैकड़ों ग्रामीणों ने एकत्र होकर थाने पहुंचकर इस मामले की लिखित शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में उन्होंने अतिक्रमण को तत्काल रोकने और दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

**उग्र आंदोलन की चेतावनी**
ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन ने समय रहते इस अतिक्रमण को नहीं रोका, तो वे उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। इस संबंध में ग्रामीणों ने कलेक्टर और अनुविभागीय अधिकारी को भी ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो वे आंदोलन को और भी उग्र रूप देंगे। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपनी जमीन को वापस पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

**प्रशासन की जिम्मेदारी और आगामी कदम**
इस घटना ने स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासनिक लापरवाही के कारण ही अतिक्रमणकारी को बार-बार इस तरह के अवैध कार्य करने का साहस मिल रहा है। हालांकि, प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे ग्रामीणों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले को किस तरह से संभालता है और अतिक्रमण को हटाने के लिए क्या कदम उठाता है।

हेडसपाली के ग्रामीणों का यह संघर्ष स्थानीय प्रशासन और सरकारी तंत्र की सक्षमता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। ग्रामीणों ने इस भूमि पर वर्षों से अपना अधिकार समझा है, और वे इसे किसी भी सूरत में नहीं खोना चाहते। अब यह प्रशासन पर निर्भर करता है कि वह इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और ग्रामीणों की मांगों को पूरा करता है या नहीं। अगर समय रहते उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला आने वाले दिनों में और भी बड़ा रूप ले सकता है, जिससे प्रशासन को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

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