
छत्तीसगढ़ सहित आसपास के इलाकों में इस बार बे-मौसम बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है। हर साल की तरह इस बार भी चक्रवात के प्रभाव से अचानक हुई बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। किसानों ने पूरे साल अपनी धान की फसल को एक बच्चे की तरह पाल-पोसकर तैयार किया था। खेतों में लहलहाती, सोने जैसी चमकती हुई धान की बालियाँ देखकर किसान के चेहरे पर मुस्कान लौट आई थी, लेकिन अचानक हुई तेज बारिश और तूफानी हवाओं ने उनकी सारी उम्मीदें तोड़ दीं।

तेज हवा और बारिश के कारण खेतों में पककर तैयार धान की फसल गिर गई। कई जगहों पर पानी भर जाने से धान की बाली पूरी तरह पानी में डूब गई है। इससे न केवल उत्पादन पर असर पड़ेगा, बल्कि गुणवत्ता भी काफी घट जाएगी। धान के दाने काले पड़ने और अंकुरित होने की संभावना बढ़ गई है। किसान अपने खेतों में जाकर अपनी मेहनत का नाश देखकर मायूस हैं।
किसान बताते हैं कि वे सालभर कर्ज लेकर बीज, खाद और मजदूरी में हजारों रुपए खर्च करते हैं। जब फसल तैयार होती है, तब इस तरह की बे-मौसम बारिश उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर देती है। कई जगहों पर तो फसल कटाई शुरू ही हुई थी कि बारिश ने खेतों को दलदल बना दिया,

विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार बदलते मौसम के पैटर्न और चक्रवाती हवाओं का असर अब राज्य के हर हिस्से में दिखाई देने लगा है। इस बार अक्टूबर के अंत में हुई बारिश ने बीते कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों को सलाह दी है कि वे पानी निकासी की व्यवस्था करें और गिर चुकी फसलों को जल्द कटाई कर सुरक्षित स्थान पर रखें।
कुल मिलाकर, बे-मौसम बारिश ने किसानों की नींद उड़ा दी है। खेतों में गिरे धान के दृश्य देखकर किसानों की आँखों में आँसू छलक आते हैं। सरकार से उम्मीद है कि फसल नुकसान का सर्वे कर उचित मुआवजा देकर किसानों को राहत दी जाए।



