
रायगढ़ विधानसभा के सरिया क्षेत्र में इन दिनों बालू की कालाबाजारी खुलेआम हो रही है। डंपिंग कर अवैध रूप से बालू को मनमाने दाम पर बेचा जा रहा है, जिससे प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राही सबसे अधिक परेशान हैं। बालू की बढ़ती कीमतें गरीब वर्ग के लिए आवास निर्माण का सपना अधूरा कर रही हैं।
जानकारी के अनुसार, पहले एक ट्रैक्टर बालू की कीमत लगभग 1300 रुपये में मिल जाती थी। किंतु अब वही बालू 3000 रुपये तक बेचा जा रहा है। दाम लगभग दोगुना से भी अधिक हो जाने के कारण ग्रामीण और हितग्राही मजबूरी में महंगे दाम पर बालू खरीद रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि यह सब प्रशासन और संबंधित विभागों की जानकारी में होने के बावजूद कार्रवाई नहीं की जा रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरिया क्षेत्र में हजारों ट्रैक्टरों बालू का डंपिंग कर रखा गया है, जिसे अवैध रूप से बेचा जा रहा है। बिना रॉयल्टी और कागजी प्रक्रिया के बालू खुलेआम ट्रैक्टरों में भरकर गांव–गांव पहुँचाया जा रहा है। नियमों की अनदेखी करते हुए कालाबाजारी करने वालों पर न तो पुलिस की नजर है और न ही खनिज विभाग कोई कदम उठा रहा है। अधिकारी मौन धारण किए बैठे हैं, जिससे कालाबाजारी करने वालों के हौसले बुलंद हैं।
दूसरी ओर प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर शासन-प्रशासन लगातार समीक्षा बैठक कर रहा है। विभागीय अधिकारियों को यह निर्देश दिए जा रहे हैं कि प्रत्येक हितग्राही को समय पर आवास उपलब्ध कराया जाए और अपूर्ण कार्यों को शीघ्र पूरा किया जाए। लेकिन हकीकत यह है कि बालू की कालाबाजारी के चलते गरीब हितग्राही मकान निर्माण की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं।
हितग्राहियों का कहना है कि शासन द्वारा आवास स्वीकृति मिल जाती है, किस्त की राशि भी खाते में आ जाती है, लेकिन निर्माण सामग्री के दाम आसमान छूने से कार्य बीच में ही अटक जाता है। ईंट और सीमेंट की दरें पहले से ही अधिक हैं, अब बालू की कीमतें डबल होने से निर्माण कार्य रुकने की कगार पर पहुंच गया है।
स्थानीय नागरिकों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि बालू डंपिंग और अवैध बिक्री पर तत्काल रोक लगाई जाए। बालू की दरों को स्थिर कर सही रेट पर उपलब्ध कराया जाए, ताकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीब और मध्यमवर्गीय हितग्राही अपने मकान का सपना साकार कर सकें।
सरिया क्षेत्र में चल रही बालू की यह अवैध गतिविधि न केवल हितग्राहियों के लिए मुसीबत बन रही है बल्कि शासन की योजनाओं की प्रगति को भी प्रभावित कर रही है। यदि समय रहते प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो हजारों हितग्राहियों के आवास निर्माण कार्य अधूरे रह जाएंगे और सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो जाएंगे।



