सारंगढ़-बिलाईगढ़। छत्तीसगढ़ के मेहनतकश अन्नदाता किसान अब अपने अधिकार और हक की लड़ाई को लेकर मुखर हो गए हैं। आगामी 13 अक्टूबर 2025 को मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने का ऐलान भारतीय किसान संघ, छत्तीसगढ़ प्रदेश ने किया है। इस आंदोलन में प्रदेशभर के हजारों-लाखों किसान शामिल होंगे। जिले और ब्लॉकों से एकजुट होकर किसान अपनी मांगों को सरकार के सामने रखने राजधानी पहुंचेंगे।
किसान संघ का कहना है कि प्रदेश के किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य और योजनाओं का लाभ सही समय पर नहीं मिल पा रहा है। खाद की कालाबाजारी रोकने, सहकारी समितियों में पर्याप्त भंडारण की व्यवस्था, बिजली कटौती समाप्त करने और घरेलू बिजली पर पुनः हाफ बिल योजना लागू करने जैसी प्रमुख मांगें इस आंदोलन के केंद्र में होंगी।
इसके अलावा किसानों की बड़ी चिंता सिंचाई को लेकर है। संघ की मांग है कि प्रदेश में सिंचाई का रकबा बढ़ाया जाए तथा नहरों का पानी अंतिम गांव तक पहुंचे इसकी व्यवस्था सुनिश्चित हो। वहीं, पिछली सरकार की बकाया चौथी किस्त की राशि दीपावली से पूर्व भुगतान की भी मांग किसानों ने उठाई है।
धान के समर्थन मूल्य पर भी किसानों ने स्पष्ट मांग रखी है। किसानों का कहना है कि धान की राशि 3100 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य के साथ खरीदी 1 नवंबर से प्रारंभ की जाए। साथ ही तिलहन और तिल्ली की खेती पर 20 हजार रुपये का अनुदान तथा मूंगफली, सूरजमुखी, तिलहन की खरीदी की मांग भी की गई है।
किसानों ने कहा कि फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए गन्ना फसल को किसान उन्नति योजना में जोड़ा जाए। साथ ही जैविक खेती में भारत सरकार की ओर से मिलने वाले अनुदान को राज्य सरकार किसानों तक पहुंचाए। धान खरीदी में किसानों से अधिक वजन न लिया जाए तथा 40 किलो 700 ग्राम धान से ज्यादा की वसूली पूरी तरह बंद की जाए।
भारतीय किसान संघ का कहना है कि यह आंदोलन किसानों के अस्तित्व और भविष्य की सुरक्षा के लिए है। “धान का कटोरा” कहलाने वाले छत्तीसगढ़ के अन्नदाता अपनी मेहनत का न्यायपूर्ण मूल्य चाहते हैं। किसान संघ ने आम जनता और बुद्धिजीवियों से अपील की है कि वे किसानों के इस संघर्ष में साथ खड़े हों और उनकी आवाज को और बुलंद करें।
भारतीय किसान संघ, छत्तीसगढ़ प्रदेश का यह आंदोलन प्रदेश की राजनीति और कृषि नीति पर व्यापक असर डालने वाला साबित हो सकता है।
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