आरक्षण विरोधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सारंगढ़ बिलाईगढ़ में भारत बंद: नगर में संपूर्ण बंद, जिला प्रशासन को सौंपा गया ज्ञापन
सारंगढ़/सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में अनूसूचित जाति और अनूसूचित जनजाति के आरक्षण को लेकर भारत बंद का आह्वान किया गया। इस बंद के तहत छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले में पूरे नगर ने समर्थन करते हुए संपूर्ण बंद का पालन किया। इस बंद के समर्थन में स्थानीय समुदायों, जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ-साथ आम जनता ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे यह बंद सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
बंद की शुरुआत बाबा गुरुघासीदास जी के जैतखाम में पूजा-अर्चना के साथ हुई, जहां समुदाय के लोगों ने एकजुट होकर अपने आराध्य को नमन किया। इसके बाद जनपद पंचायत सारंगढ़ में स्थित डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस श्रद्धांजलि सभा में श्रीमती उत्तरी गणपत जांगड़े विधायक विशेष रूप से उपस्थित रहीं और उन्होंने बाबा साहब के योगदान और उनके विचारों पर अपने विचार व्यक्त किए।
जनता का आक्रोश और विरोध प्रदर्शन भारत माता चौक सारंगढ़ में एकत्रित होकर जोर पकड़ा। यहां विभिन्न वर्गों के मुखिया और जनप्रतिनिधियों ने अपने भाषणों के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कड़ा विरोध किया और इसे संविधान के मूल्यों के खिलाफ करार दिया। उन्होंने अपने संबोधन में यह स्पष्ट किया कि इस फैसले से समाज में असमानता और विभाजन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो देश की एकता और अखंडता के लिए खतरनाक है।
इसके बाद, विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों ने एकजुट होकर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ कानूनी कदम उठाए जाएं और आरक्षण की सुरक्षा के लिए उचित प्रावधान किए जाएं। ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि आरक्षण को लेकर कोई भी बदलाव समाज के कमजोर वर्गों के हितों को ध्यान में रखकर ही किया जाना चाहिए।
बंद के दौरान बाजार, सरकारी और निजी कार्यालय, स्कूल और अन्य प्रतिष्ठान पूरी तरह से बंद रहे। बंद में कोई अप्रिय घटना नहीं घटी और यह शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। नगर में हर वर्ग के लोगों ने इस बंद का समर्थन किया और समाज में बराबरी और न्याय की आवाज उठाई।
इस कार्यक्रम में श्रीमती उत्तरी गणपत जांगड़े विधायक ने जनता में एकजुटता और अधिकारों के प्रति जागरूकता का संदेश दिया। इस बंद को सफल बनाने में स्थानीय नेताओं, कर्मचारियों और जनता का विशेष योगदान रहा। यह बंद न केवल आरक्षण के प्रति संवेदनशीलता को प्रकट करता है, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों के प्रति समाज की जिम्मेदारी को भी दर्शाता है।