सारंगढ़ बिलाईगढ़

**भागवत कथा सुदामा चरित्र,भागवत विश्राम व्यास पूजन फूल होली के साथ सम्पन्न **

बरमकेला////पितृमोक्षार्थ गया श्राद्धान्तर्गत श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह 5 सितंबर से 11 सितंबर तक अग्रसेन भवन बरमकेला में गर्ग परिवार गुना फरमाणा हरियाणा वाले द्वारा आयोजित इस भागवत कथा के अंतिम दिवस में फूल होली हवन पूर्णी हुति आज किया गया।श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन धार्मिक आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है, जो अध्यात्म की गहराईयों में गोता लगाने का अवसर प्रदान करता है। इस बार श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन गर्ग परिवार द्वारा किया गया, जिसमें विशेष रूप से कथा वाचक श्री हरिवल्लभाशरण महाराज ने अपने मुखारविंद से सुदामा चरित्र का रसपान कराया। कथा में सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता के मार्मिक प्रसंग का वर्णन किया गया, जिसने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।### **सुदामा चरित्र का महत्व**

श्री हरिवल्लभाशरण महाराज ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि यह कथा जीवन में प्रेम, त्याग, और सच्ची मित्रता के महत्व को दर्शाती है। सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता भारतीय संस्कृति में आदर्श मानी जाती है। सुदामा, जो अपने परिवार के साथ गरीबी में जीवन व्यतीत कर रहे थे, अपने मित्र श्रीकृष्ण से मिलने द्वारका पहुंचे। सुदामा के पास श्रीकृष्ण के लिए भेंट स्वरूप चिउड़े (पोहा) के सिवा कुछ भी नहीं था, लेकिन श्रीकृष्ण ने सुदामा के प्रेम को देखते हुए उनका स्वागत बड़े आदर के साथ किया। श्रीकृष्ण के महल में प्रवेश के समय सुदामा की स्थिति और श्रीकृष्ण के प्रेमिल व्यवहार ने सभी श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। कथा के इस मार्मिक प्रसंग ने श्रोताओं को न सिर्फ मंत्रमुग्ध किया, बल्कि उन्हें भक्ति, प्रेम और सच्ची मित्रता का भी संदेश दिया।### **कथा का भावपूर्ण रसपान**

गर्ग परिवार के द्वारा आयोजित इस श्रीमद्भागवत कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। कथा का आयोजन एक भव्य पंडाल में किया गया था, जो मनमोहक फूलों और धार्मिक ध्वजों से सजाया गया था। पंडाल के अंदरूनी हिस्से में भगवती की विशाल प्रतिमा स्थापित की गई थी, जिसके सामने श्रद्धालुओं ने दीप प्रज्वलित किए और आरती की। श्री हरिवल्लभाशरण महाराज ने अपने मधुर वाणी में सुदामा चरित्र का वर्णन किया, जिसे सुनने के लिए दूर-दूर से भक्तों का जमावड़ा लगा रहा। उन्होंने सुदामा चरित्र के माध्यम से जीवन के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे सच्ची मित्रता, भक्ति, और समर्पण हमें जीवन की कठिनाइयों से उबार सकते हैं।### **व्यास पूजन और फूल की होली का**

कथा के समापन के पश्चात् ‘व्यास पूजन’ का आयोजन किया गया, जिसमें श्री हरिवल्लभाशरण महाराज को विशेष सम्मान दिया गया। पूजन के दौरान विद्वानों और श्रद्धालुओं ने मिलकर व्यास गादी की पूजा की, जो भगवान वेदव्यास के प्रति सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक है। इस दौरान महाराज जी को शॉल और श्रीफल भेंट किए गए। इसके उपरांत होली के रंगों से सजी एक विशेष होली महोत्सव का आयोजन भी किया गया, जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने फूल उड़ाते हुए भक्ति और प्रेम की भावना का उत्सव मनाया।### **श्रद्धालुओं का अनुभव**

कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं ने इसे एक दिव्य अनुभव बताया। कई भक्तों ने कहा कि सुदामा चरित्र की कथा ने उन्हें जीवन के सच्चे अर्थ को समझने में मदद की। श्रद्धालुओं का कहना था कि इस कथा के माध्यम से उन्होंने सच्चे प्रेम, मित्रता, और भगवान के प्रति असीम भक्ति का अनुभव किया। कथा के अंत में प्रसाद वितरण किया गया।
इस प्रकार, श्रीमद्भागवत कथा के इस आयोजन ने न केवल धार्मिक चेतना को जागृत किया, बल्कि समाज में प्रेम, सद्भाव, और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई। गर्ग परिवार द्वारा आयोजित इस कथा ने सभी भक्तों के हृदय में भगवान के प्रति अनन्य प्रेम और भक्ति का संचार किया।

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