फर्जी डिग्री वाले फिजियोथैरेपिस्टों पर कार्रवाई की मांग, प्रदेश में 150 से अधिक फिजियोथैरेपिस्ट बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं,,
बिलासपुर। फिजियोथैरेपिस्ट संगठन ने आज बिलासपुर प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ में फर्जी डिग्रीधारी फिजियोथैरेपिस्टों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई। संगठन के अध्यक्ष प्रशांत चक्रवर्ती ने बताया कि प्रदेश में 150 से अधिक फिजियोथैरेपिस्ट बिना मान्यता प्राप्त संस्थानों से डिग्री लेकर अपने संस्थान चला रहे हैं। इस संबंध में संगठन ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री से भी शिकायत की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
संगठन का कहना है कि ऐसे फर्जी डिग्रीधारी फिजियोथैरेपिस्ट न केवल चिकित्सा सेवा की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि इससे संगठन के योग्य पेशेवरों का भविष्य भी खतरे में है। चक्रवर्ती ने बताया कि फिजियोथैरेपी की डिग्री केवल मान्यता प्राप्त संस्थानों से प्राप्त की जा सकती है और इसके लिए नीट परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक होता है। यह कोर्स चार साल का होता है, जिसके बाद ही छात्र-छात्राओं को डिग्री दी जाती है। हालांकि, कई ऐसे छात्र हैं जो बिना पढ़ाई के भी डिग्री प्राप्त कर रहे हैं और मेडिकल स्टोर या अन्य जगहों पर काम कर रहे हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में संगठन ने मीडिया के माध्यम से आम जनता और छात्रों के अभिभावकों को आगाह किया कि वे फर्जी संस्थानों से डिग्री प्राप्त न करें। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में केवल दो संस्थान ही फिजियोथैरेपी की डिग्री प्रदान करने के लिए मान्यता प्राप्त हैं। संगठन ने सरकार से मांग की है कि इन फर्जी डिग्रीधारियों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए ताकि चिकित्सा क्षेत्र में फर्जीवाड़ा रोका जा सके और योग्य फिजियोथैरेपिस्टों के भविष्य की सुरक्षा हो सके।
संगठन की इस मांग के बाद, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि स्वास्थ्य विभाग इस मुद्दे पर क्या कदम उठाता है।