सारंगढ़ बिलाईगढ़

विकास खंड पुसौर में धूमधाम से मनाया गया विश्व आदिवासी दिवस

पुसौर हर साल की तरह इस साल भी विश्व आदिवासी दिवस बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस महापर्व का आयोजन आदिवासी समाज की सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से किया गया। समारोह का शुभारंभ सर्व आदिवासी समाज के देवी-देवताओं की पूजा और आदिवासी महापुरुषों के तैल चित्रों पर माल्यार्पण के साथ हुआ। इस अवसर पर बाजार चौक से पुसौर बस्ती होते हुए मंडी प्रांगण तक एक विशाल रैली का आयोजन किया गया, जिसमें आदिवासी समाज के हर वर्ग की सक्रिय भागीदारी देखी गई।


रैली के बाद मंडी प्रांगण में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, जिनमें आदिवासी समाज की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं का प्रदर्शन किया गया। नृत्य, संगीत और नाट्य कला के माध्यम से आदिवासी समाज के जीवन दर्शन और उनके संघर्षों को जीवंत रूप से प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को सम्मानित भी किया गया, जिससे समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता और प्रोत्साहन को बढ़ावा मिला।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री सुशील भोय और कार्यक्रम अध्यक्ष श्री हेमलाल सिदार ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से इस आयोजन को और भी विशेष बना दिया। अपने उद्बोधन में अतिथि श्री बच्छ भोई ने कहा कि जल, जंगल और जमीन के हम सरंक्षक हैं और हमें अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के लोग प्रकृति के सच्चे सेवक हैं और उन्हें अपनी इस भूमिका पर गर्व होना चाहिए।

सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष श्री हेमलाल सिदार ने अपने वक्तव्य में कहा कि आदिवासी समाज के लोग शिक्षा के महत्व को समझें और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें। उन्होंने जोर दिया कि शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे समाज का उत्थान संभव है। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि आदिवासी समाज को एकजुट रहकर अपनी संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण करना चाहिए।

इस कार्यक्रम की सफलता के पीछे सर्व आदिवासी समाज पुसौर के सभी सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों का प्रशंसनीय योगदान रहा। उनके सामूहिक प्रयासों और निष्ठा के कारण यह आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कार्यक्रम में शामिल होने वाले सभी सम्मानित सगा-बंधु, सियान, सज्जन, युवा साथी, नारी शक्ति और नन्हे-मुन्ने बच्चों की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी भव्य और यादगार बना दिया।

आदिवासी समाज की एकजुटता, उनकी सांस्कृतिक धरोहरों का सम्मान और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य रहा। इस प्रकार, पुसौर में विश्व आदिवासी दिवस का यह आयोजन आदिवासी समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत और सामूहिक चेतना का प्रतीक बनकर सामने आया।

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