नीलगाय की मृत अवस्था में मिलने कहानी देखिए खास रिपोर्ट
कुंभकरण की नींद सो रहे वन विभाग
बिलाईगढ़ वन परिक्षेत्र में वन्य प्राणियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी रखने वाला वन विभाग गंभीर लापरवाही के आरोपों का सामना कर रहा है। यहाँ स्वतंत्र रेंजर की कमी के चलते, प्रभारी रेंजर मोहम्मद आसिफ खान के अधीनस्थ वन विभाग का संचालन हो रहा है। परंतु, यह प्रभारी रेंजर न केवल अपने कर्तव्यों में विफल रहे हैं, बल्कि उनके नेतृत्व में वन रक्षकों द्वारा की जा रही गंभीर लापरवाहियों के कारण वन्य प्राणियों की सुरक्षा पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
### वन्य प्राणियों की सुरक्षा में लापरवाही
बिलाईगढ़ वन रेंज में प्रभारी रेंजर की जिम्मेदारी होने के बावजूद, वहाँ अनेक घटनाएं और दुर्घटनाएं घटित हो रही हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रभारी रेंजर मोहम्मद आसिफ खान को वन्य प्राणियों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी का उचित ज्ञान नहीं है। यही कारण है कि उनके अधीनस्थ वन रक्षक भी अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ रहे हैं। वन रक्षक मुख्यालय में उपस्थित नहीं रहते, जिससे ग्रामीणों को वन्य प्राणियों के खतरों से बचने के लिए उचित जानकारी समय पर नहीं मिल पाती।
### ग्रामीणों की जान को खतरा
वन विभाग की इस लापरवाही का खामियाजा सीधे तौर पर ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। जंगलों में निवास करने वाले हाथी और भालू जैसे जानवरों के हमलों के कारण कई ग्रामीणों की जान जा चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि वन रक्षक मुख्यालय में नहीं रहते हैं, जिसके कारण उन्हें समय पर सूचना नहीं मिल पाती और वे अनजाने में अपनी जान जोखिम में डाल देते हैं। यह सवाल उठता है कि आखिर कब तक ग्रामीणों की जान यूं ही जोखिम में रहेगी?
### नीलगाय की मृत का मामला
वन विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा उस समय देखने को मिली, जब ग्रामीणों ने नीलगाय की हत्या के मामले में वन विभाग की काली करतूतों को उजागर किया। घटना 29 मई 2020 की है, जब वन रक्षक गोपाल प्रसाद देवागन और डिप्टी रेंजर मोतीराम सिदार ने कक्ष क्रमांक 409 में मृत पड़ी एक नीलगाय को बिना किसी विधिवत कार्यवाही और पोस्टमार्टम के, सुरक्षा श्रमिकों के माध्यम से जला दिया। इस घटना का गवाह बनने वाले ग्रामीण आनंद राम साहू, सूतीउरकुली और डीगेशवर टंडन ने बताया कि नीलगाय को ट्रैक्टर में रखकर ले जाया गया, जबकि वह पहले से ही सड़ चुकी थी। वन रक्षक गोपाल देवागन ने इस घटना की तस्वीरें खींची थीं, जो गलती से उनके द्वारा सभी के मोबाइल में वायरल हो गईं। इसके बाद, पेट्रोल डालकर नीलगाय को जला दिया गया।
### ग्रामीणों का विरोध और शिकायत
घटना के बाद नाराज ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने नीलगाय की हत्या और वन विभाग की लापरवाही के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। शिकायतकर्ताओं ने मीडिया के माध्यम से यह जानकारी दी और बताया कि वन विभाग ने इस मामले को दबाने का प्रयास किया है। हालांकि, ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
### वन विभाग की चुप्पी और सवाल
मीडिया ने जब इस मामले में प्रभारी रेंजर मोहम्मद आसिफ खान से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया देना उचित नहीं समझा। यह चुप्पी वन विभाग के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े करती है। अगर वन्य प्राणियों की सुरक्षा में लगे वन रक्षक ही इस तरह के कृत्यों में शामिल होते हैं, तो वन और वन्य प्राणियों की सुरक्षा का जिम्मा कौन उठाएगा?
### आगे की उम्मीदें
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले के उजागर होने के बाद प्रशासन क्या कार्रवाई करता है। ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों की उम्मीदें अब प्रशासन पर टिकी हैं कि वह इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कठोर कदम उठाएगा।
वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार वन विभाग की इस लापरवाही को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, और इस पर त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।