नुआखाई पर्व धूमाभांठा और सिगारपुर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया त्योहार, भोजली विसर्जन का आयोजन
बरमकेला /ग्राम पंचायत धूमाभांठा और सिगारपुर में नुआखाई पर्व को हर्षोल्लास के साथ पंचमी के दिन मनाया गया, जो गणेश चतुर्थी के दूसरे दिन पड़ता है। इस परंपरागत त्योहार में गांव के लोगों ने नई फसल की पूजा कर अच्छी फसल और सुख-समृद्धि की कामना की। नुआखाई पर्व के दौरान अधिकांश परिवारों ने नये धान की बालियों से पूजा अर्चना की और उत्सव के साथ नुआखाई की रस्में अदा कीं।इस पावन पर्व के अवसर पर गांव के किसानों ने खेतों से पके हुए धान की बालियां घर लाकर उनकी विशेष पूजा की। पूजा के बाद इन बालियों से तैयार किए गए नए धान के चावल का पकवान बनाया गया, जिसे पूरे गांव के लोगों ने बड़े चाव से ग्रहण किया। इस दिन किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह नई फसल का स्वागत करने और भगवान से फसल की सुरक्षा एवं समृद्धि की प्रार्थना करने का समय होता है। गांव के बुजुर्गों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए नुआखाई की रस्में पूरी कीं, जिसमें पूरे गांव ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया।नुआखाई के साथ ही धूमाभांठा और सिगारपुर में भोजली विसर्जन का भी भव्य आयोजन किया गया। समारोह के दौरान पूरे नगर में बाजा-गाजा के साथ शोभायात्रा निकाली गई। ग्रामीणों ने ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते-गाते हुए गांव की गलियों में परिक्रमा की और “हां हो देवी गंगा” के गीत गाए, जिससे पूरा गांव भक्तिमय वातावरण से गूंज उठा। शोभायात्रा के बाद भोजली को गांव के तालाब में विधिपूर्वक विसर्जित किया गया। विसर्जन के समय गांव के युवाओं और बच्चों में विशेष उत्साह देखने को मिला, जो पारंपरिक परिधानों में सज-धज कर आयोजन में शामिल हुए।भोजली विसर्जन के इस समारोह ने गांव में भाईचारे और सामाजिक एकता को और भी प्रगाढ़ किया। इस आयोजन ने गांववासियों को एक साथ मिलकर अपनी संस्कृति और परंपराओं का पालन करने का अवसर दिया। इस मौके पर गांव के मुखिया और पंचायत के अन्य सदस्यों ने उपस्थित रहकर सभी को त्योहार की शुभकामनाएं दीं और ग्रामीणों के बीच मिठाइयां बांटीं।इस प्रकार, धूमाभांठा और सिगारपुर में नुआखाई पर्व और भोजली विसर्जन समारोह ने गांव में धार्मिक उत्सव और सांस्कृतिक धरोहर का सुंदर संगम प्रस्तुत किया। ग्रामीणों ने मिलजुल कर उत्सव का आनंद लिया और भविष्य में भी ऐसे आयोजन की कामना की। यह पर्व न केवल नई फसल का स्वागत करता है, बल्कि सामुदायिक सहयोग और उत्सव के महत्व को भी रेखांकित करता है।