सारंगढ़ बिलाईगढ़

कटंगपाली अंचल में डोलोमाईट की अवैध खदान में खुलेआम चल रहा है अवैध उत्खनन?

सारंगढ़ जिला के खनिज विभाग दे रहा है संरक्षण



7 एकड़ आदिवासी जमीन पर चल रहा है उत्खनन,



अरविंद, सतीश, दाताराम, भरत, गणेश और धनी का नाम अवैध उत्खनन करने वालो में?

आदिवासी भूमि पर अवैध उत्खनन मे धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है बारूद-बत्ती का?

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के खनिज अमला नही कर पा रही है कार्यवाही?



सारंगढ़,
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के बरमकेला ब्लाक के डोलोमाईट के भंड़ार पर खनन माफिया की नजर लग गई है। बिना लीज और खनन पट्‌टे के 7 एकड़ से अधिक आदिवासी भूमि पर दिन-रात किया रहा अवैध उत्खनन में जमकर विस्फोट किया जा रहा है और इसके लिये बारूद-बत्ती को भी खुलेआम उपयोग मे लाया जा रहा है। यहा से निकाला गया डोलोमाईट को प्रसिद्ध क्रेशर उद्योगो के द्वारा उपयोग में लाया जा रहा है किन्तु पूरे मामले मे खनिज विभाग आंख मूंद कर खनन माफिया को संरक्षण प्रदान कर रहा है। इस खेल मे क्षेत्र के अरविंद, सतीश, दाताराम, भरत, गणेश और धनी का नाम अवैध उत्खनन करने वालो में आ रहा है।

अवैध उत्खनन और अवैध परिवहन के लिए पिछले कुछ वर्षों से बदनाम कटंगपाली क्षेत्र इन दिनों फिर सुखियों में है। सबब भी पुराना है और फसाना भी वही है। ताजा मामला आदिवासी जमीन पर अवैध रूप से डोलोमाईट उत्खनन का है। इस मामले में मजेदार बात यह है कि खनिज विभाग की सरपरस्ती में यह खुला खेल चल रहा है। साल्हेओना व कटंगपाली क्षेत्र की पहचान खनिज ग्राम के रूप में है। स्वीकृत लीज से अधिक भूमि पर उत्खनन, डोलोमाईट के अवैध माइंस का संचालन और बिना रॉयल्टी के डोलोमाईट की ओडिशा तस्करी का सिलसिला बदस्तूर जारी है। खासकर अवैध डोलोमाईट उत्खनन ने सिस्टम में अपनी जड़ें इतनी मजबूत कर ली है कि सामान्य तौर पर कार्यवाही और इस काले खेल पर प्रभावी अंकुश लगने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। यूं तो समय-समय पर कटंगपाली क्षेत्र में खनिज अमला दबिश देता है मगर यह कागजी खानापूर्ति के अलावा और कुछ नहीं है। पिछले कुछ समय से कटंगपाली में डोलोमाईट के कई अवैध माइंस चल रहे हैं। वहीं, 7 एकड़ की एक निजी आदिवासी जमीन पर डोलोमाईट का अवैध उत्खनन बेखौफ जारी है। सवाल यह भी है कि अवैध बारूद के इस्तेमाल से ब्लास्टिंग किया जा रहा है जो अपने आपको अत्यंत सोचनीय प्रश्न है। कटंगपाली इलाके में अवैध बारूद का जखीरा कौन सप्लाई करता है? यह बारूद कहां से आता है? और इतनी आसानी से यह विस्फोटक सामग्री अवैध माइंस संचालकों तक कैसे पहुंचती है? इस संवेदनशील मामले में पुलिस को शिकायत आने का इंतजार करने की बजाए संज्ञान लेना चाहिए ताकि भविष्य में कहीं कोई अनहोनी न हो जाए।

इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार डोलोमाईट के इस अवैध माइंस के मास्टर माइंड सतीश व अरविन्द नामक शख्स है जो ग्रामीणों के साथ मिलकर बारूद का इस्तेमाल कर अवैध ब्लास्टिंग भी कराते हैं। इन दोनों के पास अवैध डोलोमाईट खपाने का पुख्ता जुगाड़ भी उपलब्ध है। आदिवासी जमीन पर अवैध उत्खनन कर डोलोमाईट को कटंगपाली के ही एसएस मिनरल्स में आसानी से खपाया जाता है। ऐसी बात नहीं है कि इन काले कारनामों की खनिज विभाग को जानकारी नहीं है लेकिन जब खुद माइनिंग अमले की शह पर यह गोलमाल चल रहा है तो त्वरित एक्शन की गुंजाईश ही कहां बचती है। खनिज विभाग पर यदा-कदा दबाव बढ़ता है तो खनिज अमले के हुक्मरान अवैध डोलोमाईट माइंस के संचालकों को पहले ही ताकीद कर देते हैं और जब खनिज अमला घटना स्थल पहुंचता है तो वहां नील बटे सन्नाटा पसरा रहता है। कटंगपाली में इतने व्यापक पैमाने पर डोलोमाईट की अफरा-तफरी चल रही है और सारंगढ़ जिला प्रशासन बेसुध है।
उत्खनन करने वाले खनिज विभाग में सलामी दे रहे?
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले मे खनिज विभाग मे इन दिनो अवैध उत्खनन करने वालो की भीड़ लगी रहती है। यहा पर ऐसा नही है कि अवैध उत्खनन करने वालो को विभाग वाले नही जानते है किन्तु विशेष बात यह है कि अवैध उत्खनन करने वाले खुद आकर विभाग मे अवैध उत्खनन की सूचना देकर खुलकर मनमानी कर रहे है। खनिज विभाग के कार्यालय मे बकायदा खनन माफियाओ का आना-जाना है। ऐसे मे जब बात कार्यवाही की होती है तो पहले से ही मोबाईल पर पोकलैंड-जेसीबी-ट्रेक्टर को हटाने का संदेश दे दिया जाता है। ऐसे मे कार्यवाही होने पर मौके पर कुछ मिलने की संभावना तो होगी ही नही। खनिज अधिकारी हीरादास भाराद्धाज भी अवैध उत्खनन के मामले मे पिछले महिने भर से एक भी खदान मे कार्यवाही नही कर अवैध उत्खनन करने वालो को संरक्षण प्रदान कर रहे है। सीया और दीया से बिना पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त खदानो मे भी अवैध उत्खनन पूरे उफान पर है। वही अब 7 एकड़ आदिवासी भूमि पर अवैध उत्खनन करने का मामला प्रकाश मे आ गया है जिसके कारण से लग रहा है कि कटंगपाली अंचल मे प्रशासन का नही माफियाओ का राज चल रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button