
छत्तीसगढ़ / बरमकेला क्षेत्र में छेरछेरा महादान का त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया गया। यह पर्व ग्रामीण समाज की समृद्ध परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इस विशेष दिन पर गांव-गांव में धान का दान किया जाता है, जिसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं। बच्चों के बीच इस त्यौहार का विशेष आकर्षण होता है क्योंकि वे समूह बनाकर घर-घर जाकर छेरछेरा मांगते हैं।

धान के दान की यह परंपरा ग्रामीण समाज में एकता और आपसी सहयोग का संदेश देती है। इस दौरान घरों में पारंपरिक व्यंजनों रोटी, और पकवान बनाए जाते हैं। पूरे परिवार के साथ इन स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेना इस पर्व का मुख्य आकर्षण है।

छत्तीसगढ़ में छेरछेरा को एक विशेष सामाजिक परंपरा के रूप में देखा जाता है। इस दिन बहनों के घर रोटी और अन्य पकवान भेजने की परंपरा का पालन किया जाता है। यह रिश्तों में मिठास और सामंजस्य बढ़ाने का प्रतीक है।
यह पर्व न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक समरसता और दानशीलता को भी बढ़ावा देता है। बरमकेला क्षेत्र में इस त्यौहार को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। छेरछेरा महादान का त्यौहार छत्तीसगढ़ की अनूठी सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखता है।


