जिला शिक्षा अधिकारी को अनुशासन का पाठ: शाला विकास समिति के अध्यक्ष ने जताई कड़ी आपत्ति
बरमकेला स्थित सेजस स्कूल में आयोजित शाला विकास समिति के अध्यक्षों की बैठक में उस समय एक अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न हो गई, जब जिला शिक्षा अधिकारी स्वयं एक घंटे की देरी से पहुंचे। बैठक का आयोजन शिक्षा के क्षेत्र में अनुशासन और शाला विकास समितियों की भूमिका पर चर्चा करने के उद्देश्य से किया गया था। इसमें जिले के विभिन्न स्कूलों के शाला विकास समिति के अध्यक्षों और शिक्षा विभाग से जुड़े संगठनों के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया।
बैठक का समय 12:30 बजे निर्धारित किया गया था, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी का विलंब से आना सभी उपस्थितों के लिए निराशाजनक साबित हुआ। सबसे ज्यादा नाराजगी शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बरमकेला के शाला विकास समिति अध्यक्ष यशवंत नायक ने व्यक्त की। नायक ने जिला शिक्षा अधिकारी के रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, “जब तक आप स्वयं अनुशासन नहीं अपनाएंगे, तब तक आपके मातहत काम करने वाले शिक्षक और कर्मचारी स्कूलों में अनुशासन कैसे बना पाएंगे?”
उन्होंने अधिकारियों की इस तरह की देरी को शिक्षा व्यवस्था के प्रति गंभीरता की कमी बताया और कहा कि इससे शासन की छवि धूमिल हो रही है। नायक ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “आपका यह रवैया कांग्रेसी मानसिकता का परिचायक है। अब बीजेपी की सरकार है, विष्णु देव की सरकार है, जो सुशासन और शिक्षा के क्षेत्र में सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है। अगर अधिकारी ही इस प्रकार की लापरवाही करेंगे, तो योजनाओं का लाभ आम जनता तक कैसे पहुंचेगा?”
यशवंत नायक ने आगे कहा कि शाला विकास समितियां बच्चों के भविष्य को लेकर गंभीर हैं और उनकी जिम्मेदारी है कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और अनुशासन लाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों के अड़ियल रवैये के कारण ये योजनाएं धरातल पर सही ढंग से क्रियान्वित नहीं हो पा रही हैं।
नायक ने कहा कि अगर अधिकारियों का यह रवैया जारी रहा, तो शाला विकास समिति के अध्यक्ष मजबूर होकर इस विषय में मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग करेंगे। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षा विभाग को अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाया जा सके।
बैठक में अन्य शाला विकास समिति के अध्यक्षों ने भी यशवंत नायक के विचारों का समर्थन किया और कहा कि अधिकारियों की समय पर उपस्थिति और अनुशासनहीनता को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
अध्यक्षों ने इस बात पर भी जोर दिया कि जब शिक्षक और अधिकारी समय का पालन नहीं करेंगे, तो स्कूलों में अनुशासन का स्तर कैसे सुधरेगा। नायक ने कहा कि शिक्षा विभाग में इस तरह की लापरवाही के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और यह स्थिति लंबे समय तक बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
यशवंत नायक ने अंत में कहा कि शाला विकास समिति के सभी अध्यक्ष सरकार के साथ मिलकर शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए कार्य करने को तैयार हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि अधिकारी भी समय और अनुशासन का पालन करें।
इस घटना के बाद बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने जिला शिक्षा अधिकारी से अनुशासन का पालन करने और शिक्षा के प्रति गंभीरता से काम करने की अपील की। बैठक का समापन शिक्षा विभाग में सुधार और अनुशासन लाने के संकल्प के साथ हुआ।