
बरमकेला जनपद पंचायत में हुए सभापति एवं समितियों के सदस्यों के निर्वाचन में भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर कांग्रेस को करारा झटका दिया है। कांग्रेस के पास अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद होने के बावजूद, भाजपा समर्थित उम्मीदवारों ने एकतरफा जीत हासिल कर सभी को चौंका दिया।
निर्वाचन प्रक्रिया में कांग्रेस समर्थित जनपद सदस्यों को मैदान छोड़ना पड़ा, जिससे स्पष्ट संकेत मिला कि पार्टी के भीतर मतभेद और असंतोष चरम पर है। हैरानी की बात यह रही कि कांग्रेस के पुराने और मजबूत माने जाने वाले कार्यकर्ता ने भी भाजपा के प्रत्याशी को वोट देकर अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी। इस बगावत का नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस का सभापति बनने का सपना अधूरा रह गया और भाजपा ने बाज़ी मार ली।
महज 15 दिनों के भीतर कांग्रेस के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष को उनके ही सदस्यों द्वारा नकार दिया गया, जो इस राजनीतिक उलटफेर की गंभीरता को दर्शाता है। बरमकेला की राजनीति अब एक नए मोड़ पर है, जहां भाजपा की स्थिति मजबूत होती दिख रही है और कांग्रेस को आत्ममंथन की जरूरत है।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो यह चुनाव केवल जनपद स्तर की जीत नहीं है, बल्कि यह भविष्य की राजनीति की दिशा तय करने वाला कदम हो सकता है। अब देखना यह होगा कि भाजपा इस जीत के बाद कौन-सी रणनीति अपनाती है और कांग्रेस अपने खोए हुए समर्थन को दोबारा हासिल करने के लिए क्या कदम उठाती है।