
सारंगढ़/धूमाभाठा सिंगारपुर क्षेत्र में व्रत सावित्री पूजा बड़े ही श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर सुहागन महिलाओं ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार सोलह श्रृंगार कर व्रत रखा और बरगद के पेड़ की परिक्रमा करते हुए पूजा-अर्चना की। व्रत सावित्री पूजा का विशेष महत्व होता है, जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए उपवास करती हैं।

पूजन कार्यक्रम की शुरुआत सुबह से ही हो गई थी। महिलाएं नए परिधान पहनकर, माथे पर सिंदूर और हाथों में मेंहदी लगाए पूजा स्थल पर एकत्रित हुईं। पारंपरिक गीतों और भक्ति भाव से वातावरण भक्तिमय हो गया। उन्होंने बरगद के पेड़ की सात बार परिक्रमा की और धागा बांधकर अपने अखंड सौभाग्य की कामना की।

इस धार्मिक आयोजन में ब्राह्मण प्रफुल्ल महाराज द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण और पूजा विधि संपन्न करवाई गई। उन्होंने महिलाओं को व्रत सावित्री की कथा सुनाई, जिसमें सतयुग की पतिव्रता सावित्री की कथा का वर्णन किया गया। इस कथा में सावित्री अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस लाकर उनके प्राणों की रक्षा करती हैं, जो नारी शक्ति और समर्पण का प्रतीक है।

धूमाभाठा और सिंगारपुर की महिलाओं ने बड़ी श्रद्धा से इस पावन व्रत को मनाया और आपसी मेल-जोल और धर्म-परायणता का संदेश दिया। पूजा के बाद सभी ने प्रसाद ग्रहण किया और घर-परिवार के सुख-शांति की कामना की।



